अप्सरा-U अनुसंधान रिएक्टर

प्रश्न-ट्राम्बे (मुंबई) स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में अप्सरा-U नाभिकीय अनुसंधान रिएक्टर का परिचालन कब प्रारंभ हुआ?
(a) 8 सितंबर, 2018 को
(b) 9 सितंबर, 2018 को
(c) 10 सितंबर, 2018 को
(d) 11 सितंबर, 2018 को
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य

  • 10 सितंबर, 2018 को भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, ट्राम्बे (मुंबई) में अप्सरा-U (Apsara-U: Apsara Upgraded) नाभिकीय अनुसंधान रिएक्टर का परिचालन प्रारंभ हो गया।
  • उल्लेखनीय है कि अप्सरा-U भारत सहित संपूर्ण एशिया के प्रथम नाभिकीय शोध रिएक्टर ‘अप्सरा’ का उन्नत संस्करण है।
  • अप्सरा रिएक्टर का परिचालन भाभा परमाणु अनुसंधान’ केंद्र के ट्राम्बे स्थित परिसर में ही अगस्त, 1956 में प्रारंभ हुआ था।
  • अप्सरा रिएक्टर की डिजाइन की परिकल्पना भारतीय नाभिकीय कार्यक्रम के जनक डॉ. होमी जहांगीर भाभा द्वारा वर्ष 1955 में की गई थी।
  • स्वदेशी प्रयासों से निर्मित अप्सरा रिएक्टर को 20 जनवरी, 1957 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्र को समर्पित किया था और अप्सरा नाम दिया था।
  • ईंधन के रूप में संवर्धित यूरेनियम का प्रयोग करने वाले इस रिएक्टर की तैनाती से देश में रेडियो-आइसोटोपों (Radio-isotopes) का उत्पादन प्रारंभ हुआ था।
  • अप्सरा रिएक्टर की अधिकतम ऊर्जा क्षमता 1 मेगावॉट थी।
  • पांच दशक से अधिक समय तक अनुसंधानकर्ताओं को अपनी सेवा उपलब्ध कराने के बाद अप्सरा रिएक्टर को मरम्मत कर नया स्वरूप देने के लिए वर्ष 2009 में बंद कर दिया गया था।
  • अप्सरा के उन्नत संस्करण अप्सरा-U अधिकतम क्षमता 2 मेगावॉट है।
  • अप्सरा-U एक स्विमिंग पूल के आकार का रिएक्टर है जिसमें ईंधन के रूप में ‘निम्न संवर्धित यूरेनियम’ (LEU: Low Enriched Uranium) का प्रयोग किया जाएगा।
  • इस उन्नत रिएक्टर की तैनाती से चिकित्सीय अनुप्रयोगों हेतु रेडियो-आईसोटोपों के स्वदेशी उत्पादन में वृद्धि होने की संभावना है।
  • यह रिएक्टर नाभिकीय भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, विकिरण सुरक्षा आदि क्षेत्रों में अनुसंधान हेतु व्यापक रूप से प्रयुक्त होगा।

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