प्रश्न-भारत में विकसित प्रथम स्वदेशी रोटावायरस टीके का क्या नाम है?
(a) रोटा-बी
(b) रोटा-सी
(c) रोटावैक
(d) रोटा-वी
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य
- 26 मार्च 2016 को सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने रोटावायरस टीके ‘रोटावैक’ का शुभारंभ किया।
- ज्ञातव्य है कि देश में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में रोटावायरस अतिसार मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से एक है।
- प्रतिवर्ष लगभग 80,000 से एक लाख बच्चों की रोटावायरस डायरिया के कारण मृत्यु हो जाती है, साथ ही सलाना लगभग 9 लाख बच्चे अतिसार के कारण अस्पतालों में भर्ती होते हैं।
- शुरूआत में इस टीके को चार राज्यों-आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं ओडिशा में प्रारंभ किया जा रहा है। इसे क्रमवार ढंग से पूरे देश में लागू किया जायेगा।
- रोटावायरस टीके का विकास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, अमेरिकी सरकार के संस्थान, और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत के सरकारी संस्थान तथा स्वयम् सेवी संगठनों द्वारा सार्वजनिक निजी साझेदारी के तहत भारत में ही तैयार किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि 1985 में शुरू किया गया भारत का सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम दुनिया के सबसे बड़े प्रतिरक्षण कार्यक्रमों में से एक है।
- भारत सरकार ने दिसंबर 2014 में टीकाकृत या आंशिक रूप से टीकाकृत बच्चों के पूर्ण प्रतिरक्षण हेतु ‘मिशन इन्द्रधनुष’ शुरू किया था।
संबंधित लिंक भी देखें…
http://pib.nic.in/newsite/hindirelease.aspx?relid=46831
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=138342
http://timesofindia.indiatimes.com/city/bhubaneswar/Indigenous-rotavirus-vaccine-becomes-part-of-universal-immunization-in-4-states/articleshow/51561520.cms
http://pmindia.gov.in/en/news_updates/pm-launches-first-indigenously-developed-and-manufactured-vaccine-against-rotavirus/