प्रश्न – निम्नलिखित में से कौन-सा तथ्य “रक्षा खरीद नियमावली (Defence Procurement Manual – DPM), 2025” के संबंध में सही नहीं है?
(a) डीपीएम 2025 का विमोचन 23 अक्टूबर, 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा नई दिल्ली में किया गया।
(b) यह नियमावली 15 नवंबर, 2025 से प्रभावी होगी।
(c) स्वदेशी वस्तुओं के लिए 5 वर्ष या उससे अधिक अवधि के सुनिश्चित ऑर्डर का प्रावधान किया गया है।
(d) नई नियमावली में नवाचार एवं स्वदेशीकरण, ICT खरीद और परामर्श सेवाओं पर तीन नए अध्याय जोड़े गए हैं।
उत्तर – (b)
व्याख्यात्मक उत्तर
- 23 अक्टूबर, 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में रक्षा खरीद नियमावली (Defence Procurement Manual – DPM), 2025 का विमोचन किया।
- यह नियमावली 1 नवंबर, 2025 से प्रभावी होगी।
- इसका उद्देश्य सशस्त्र बलों की संचालनात्मक तैयारियों को सुदृढ़ करते हुए रक्षा खरीद प्रणाली को अधिक सरल, पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है।
- यह नियमावली तीनों सेनाओं और रक्षा मंत्रालय के अधीन अन्य प्रतिष्ठानों द्वारा लगभग 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य की खरीद को सुगम बनाएगी
- रक्षा खरीद नियमावली, 2025 में कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं।
- निर्णय प्रक्रिया को तेज बनाने और कारोबारी सुगमता (Ease of Doing Business) को बढ़ाने हेतु देरी पर लगाई जाने वाली क्षतिपूर्ति (Liquidated Damages) में ढील दी गई है।
- अब केवल अत्यधिक देरी के मामलों में अधिकतम 10 प्रतिशत एलडी लागू होगी, जबकि स्वदेशीकरण के मामलों में यह दर मात्र 0.1 प्रतिशत प्रति सप्ताह रहेगी, जो पहले 0.5 प्रतिशत थी।
- इसके अतिरिक्त स्वदेशी वस्तुओं के लिए 5 वर्ष या उससे अधिक अवधि के सुनिश्चित ऑर्डर का प्रावधान किया गया है, जिससे घरेलू उद्योगों को दीर्घकालिक स्थिरता मिलेगी।
- नई नियमावली के अनुसार, 50 लाख रुपये तक की खरीद के लिए सीमित पूछताछ (Limited Tender Enquiry) की अनुमति दी गई है, और विशेष परिस्थितियों में इससे अधिक राशि के लिए भी स्वीकृति संभव होगी।
- इसके अलावा, अन्य स्रतों से खरीद करने से पहले पूर्ववर्ती आयुध निर्माण बोर्ड से ‘अनापत्ति प्रमाण-पत्र’ (NOC) प्राप्त करने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है।
- रक्षा खरीद नियमावली (डीपीएम) 2025 में मरम्मत एवं ओवरहालिंग संबंधी प्रावधानों को भी संशोधित किया गया है।
- अब जहाजों, विमानन उपकरणों आदि के रखरखाव कार्यों में 15 प्रतिशत तक अग्रिम वृद्धि की अनुमति होगी, जिससे डाउनटाइम कम होगा और संचालनात्मक तत्परता बनी रहेगी।
- इसके साथ ही पीएसी आधार (स्वामित्व वस्तु प्रमाणपत्र) से संबंधित प्रावधानों को पुनर्परिभाषित किया गया है, जिसकी प्रारंभिक वैधता अब दो वर्ष तक रहेगी।
- नियमावली की संरचना दो खंडों में विभाजित है — खंड-I में खरीद प्रक्रियाओं के मुख्य प्रावधान शामिल हैं, जबकि खंड-II में सभी परिशिष्ट, प्रपत्र एवं सरकारी आदेश संकलित किए गए हैं।
- खंड-I में कुल 14 अध्याय हैं, जिनमें तीन नए अध्याय जोड़े गए हैं — (i) नवाचार और स्वदेशीकरण के माध्यम से आत्मनिर्भरता, (ii) सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) खरीद, तथा (iii) परामर्श एवं गैर-परामर्श सेवाएं।
- आत्मनिर्भरता से संबंधित अध्याय रक्षा वस्तुओं के स्वदेशी डिज़ाइन और विकास को प्रोत्साहित करेगा।
- 1 नवम्बर, 2025 के बाद जारी सभी सभी प्रस्ताव अनुरोध (आरएफपी) डीपीएम 2025 के प्रावधानों के अधीन होंगे, जबकि 31 अक्टूबर, 2025 तक जारी आरएफपी पर डीपीएम 2009 लागू रहेगा।
- यदि कोई आरएफपी पहले जारी किया गया हो और बाद में वापस लेकर 1 नवम्बर के बाद पुनः जारी किया जाए, तो उस पर डीपीएम 2025 लागू होगा।
- डॉ. मयंक शर्मा (वित्तीय सलाहकार, रक्षा सेवाएं) ने इस अवसर पर नियमावली का अवलोकन प्रस्तुत किया।
लेखक- विजय प्रताप सिंह
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