मानवयुक्त पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’

प्रश्न – मानवयुक्त पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’ के संबंध में निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
1.पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (एनआईओटी), चेन्नई के माध्यम से एक मानवयुक्त पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’ विकसित कर रहा है।
2. डीप ओशन मिशन के तहत मानवयुक्त पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’ विकसित की जा रही है, जिसमें 2.1 मीटर आंतरिक व्यास वाला टाइटेनियम मिश्रधातु से बना पर्सनेल स्फीयर होगा, जो 6000 मीटर की गहराई तक मानव को सुरक्षित ले जाने में सक्षम होगा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल (i)
(b) केवल (ii)
(c) केवल (i) एवं (ii) दोनों
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (c)


व्याख्यात्मक उत्तर

  • 13 फरवरी, 2025 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी दी की पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (एनआईओटी), चेन्नई के माध्यम से एक मानवयुक्त पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’ विकसित कर रहा है।
  • यह पनडुब्बी तीन वैज्ञानिकों को 6000 मीटर की गहराई तक ले जाने में सक्षम होगी और इसे समुद्री अन्वेषण तथा अवलोकन के लिए वैज्ञानिक सेंसरों से सुसज्जित किया जा रहा है।
  • इस पनडुब्बी के वर्ष 2026 तक बनने की संभावना है।
  • डीप ओशन मिशन के तहत मानवयुक्त पनडुब्बी ‘मत्स्य 6000’ विकसित की जा रही है, जिसमें 2.1 मीटर आंतरिक व्यास वाला टाइटेनियम मिश्रधातु से बना पर्सनेल स्फीयर होगा, जो 6000 मीटर की गहराई तक मानव को सुरक्षित ले जाने में सक्षम होगा।
  • टाइटेनियम मिश्रधातु से बने पर्सनेल स्फीयर का एकीकरण इसरो के सहयोग से किया जा रहा है।
  • मानवयुक्त पनडुब्बी को उत्पलन प्रबंध के लिए सबसिस्टम,अवतरण/उत्थान सक्षम प्रणाली, ऊर्जा और नियंत्रण प्रणाली, संचालन प्रणोदक, समुद्र में हस्तक्षेप करने वाले मैनिपुलेटर्स, नेविगेशन और पोजिशनिंग डिवाइसेस, डेटा और वॉयस संचार प्रणाली, ऑन-बोर्ड ऊर्जा भंडारण बैटरियां तथा आपातकालीन सहायता प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा।
  • इसे गहरे पानी के अवलोकन और अन्वेषण के लिए 96 घंटे तक की आपातकालीन क्षमता के साथ 6000 मीटर की गहराई पर 12 घंटे तक निरंतर संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • गहरे समुद्र में की जाने वाली गतिविधियां, गहरे समुद्र में सजीव और निर्जीव संसाधनों की खोज, संयुक्त राष्ट्र के शासी निकायों के दिशा-निर्देशों के अनुसार की जा रही हैं।
  • महासागर जलवायु परिवर्तन परामर्श सेवाओं का विकास, समुद्र स्तर में परिवर्तन, चक्रवात, तूफानी लहरों और लहरों की तीव्रता तथा अनुमानित जलवायु में तटीय कटाव और जलप्लावन पर उनके प्रभावों के अनुमान लगाने के लिए मजबूत डेटा अधिग्रहण और विश्लेषण पर निर्भर करता है।
  • इसके लिए एक समर्पित उन्नत समुद्री समुद्री जीव विज्ञान स्टेशन (एएमएसओबी) की स्थापना की जा रही है।

लेखक- विजय प्रताप सिंह 

संबंधित लिंक भी देखें…

https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2102792