प्रश्न-निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
(a) 18 दिसंबर, 2014 को भारत में अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके-III (GSLV Mk-III) की प्रथम प्रायोगिक उड़ान का सफल संचालन किया गया।
(b) यह एलवीएम 3-एक्स/केयर (LVM3-X/CARE) के नाम से भी जाता जाता है।
(c) यह इसरो के 4500 से 5000 किग्रा. भार वाले इन्सैट-4 श्रेणी के भारी संचार उपग्रहों के प्रमोचन के लिए परिकल्पित और डिजाइन की गई है।
(d) यह अपने साथ 3775 किग्रा. वजन वाला पेलोड ‘क्रू मॉड्यूल एटमॉस्टफेरिक री-एंट्री एक्सपेरिमेंट’ CARE) ले गया।
उपरोक्त कथनों में कौन-सा/से/सही हैं/है?
(a) 1, 2 और 4
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 2, 3 और 4
(d) 1 और 3
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य
- 18 दिसंबर, 2014 को ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) द्वारा भारत की अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके-III (GSLV Mk-III) की प्रथम प्रायोगिक उड़ान (GSLV Mk-III X/CARE) का सफल संचालन श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार (SHAR) से किया गया।
- एलवीएम 3-एक्स/केयर (LVM3-X/CARE) के नाम प्रचलित इस उपकक्षीय प्रायोगिक मिशन का उद्देश्य इसकी उड़ान के क्रांतिक वायुमंडलीय चरण के दौरान यान के निष्पादन का परीक्षण करना था।
- जीएसएलवी एमके-III को 630 टन उत्थापन भार 42.4 मीटर लंबाई सहित तीन चरण वाले यान के रूप में अभिकल्पित किया गया है।
- प्रमोचन के लगभग साढ़े पांच मिनट बाद एमके-III ने 3775 कि.ग्रा. भार वाले ‘क्रू मॉड्यूल का वायुमंडल में पुनः प्रवेश परीक्षण’ (CARE) नीति भार को 126 कि.मी. की लक्षित ऊंचाई तक ले गया।
- प्रक्षेपण के 330.8 सेकेंड के बाद जीएसएलवी एमके-III के ‘C25 क्रायोजेनिक’ ऊपरी चरण से वायुमंडलीय पुर्नवेश प्रयोग ‘केयर’ (CARE) माड्यूल अलग हो गया और उसने वायुमंडल में फिर से प्रवेश के लिए अपने निर्देशित अवतरण की शुरूआत कर दी।
- फिर से प्रवेश का चरण सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद ‘केयर’ माड्यूल के पैराशूट खुल गए। इसके बाद यह श्रीहरिकोटा से तकरीबन 1600 किमी. दूर अंडमान सागर के ऊपर आहिस्ता-आहिस्ता नीचे उतर गया।
- जीएसएलवी एमके-III एक्स/केयर मिशन को सफलता मिलने के साथ ही यह यान अब कार्यरत ‘C25 क्रायोजेनिक’ ऊपरी चरण के साथ अपनी प्रथम विकासात्मक उड़ान की ओर एक कदम और करीब पहुंच गया।
- उल्लेखनीय है कि भूतुल्यकालिक उपग्रह प्रमोचन यान मार्क-III (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark-III: GSLV Mk-III) इसरो द्वारा संप्रति विकासाधीन एक प्रमोचक यान है।
- जीएसएलवी एमके-III इसरो के 4500 से 5000 किग्रा. भार वाले इन्सैट-4 श्रेणी के भारी संचार उपग्रहों के प्रमोचन के लिए परिकल्पित और डिजाइन की गई है।
- यह यान जी.टी.ओ, एल.ई.ओ, ध्रुवीय और मध्यवर्ती वृत्तीय कक्षा के लिए मल्टी-मिशन प्रमोचन क्षमता परिकल्पित करना है।
- यह तीन चरण यान के रूप में अभिकल्पित किया गया है। प्रथम चरण में 200 टन ठोस नोदक सहित दो एकसमान एस 200 वृहत ठोस बूस्टर (एल.एस.बी.) समाहित हैं। द्वितीय चरण में, एल 110 पुनः प्रारंभ योग्य द्रव चरण पर स्ट्रेप ऑन किए गए हैं। तृतीय चरण सी 25 एलओएक्स/एलएच 2 निम्नतापीय चरण है।
- यह यान अरबों डॉलर के व्यापारिक बाजार में सक्षम प्रतियोगी के रूप में देश की क्षमता में भी वृद्धि करेगा।
संबंधित लिंक भी देखें…
http://isro.gov.in/update/18-dec-2014/first-experimental-flight-of-indias-next-generation-launch-vehicle-gslv-mk-iii
http://hindi.isro.gov.in/Launchvehicles/GSLVMARKIII/mark3.aspx
http://pib.nic.in/newsite/hindirelease.aspx
http://hindi.isro.gov.in/Pressrelease/scripts/pressreleasein.aspx?Dec18_2014
http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx
http://www.thehindu.com/sci-tech/science/india-successfully-test-fires-gslv-markiii-its-heaviest-rocket/article6703691.ece