प्रश्न-किस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में IBC के माध्यम से 70,000 करोड़ रु. एनपीए वसूली हुई?
(a) क्रिसिल रेटिंग्स
(b) मूडीज
(c) क्रेडिट एनालसिस एंड रिसर्च लिमिटेड (ARE)
(d) स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया (SMERA)
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य
(a) क्रिसिल रेटिंग्स
(b) मूडीज
(c) क्रेडिट एनालसिस एंड रिसर्च लिमिटेड (ARE)
(d) स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया (SMERA)
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य
- 14 मई, 2019 को क्रेडिट रेटिंग इन्फॉरमेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड (CRISIL) द्वारा एक प्रेस रिलीज जारी की गई।
- इसके अनुसार इन्साल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोर्ड (IBC) के माध्यम से 70000 करोड़ रु. की एनपीए की वसूली की गई।
- जबकि IBC के पूर्व वित्त वर्ष 2018 की अवधि के दौरान अन्य ऋण वसूली तंत्र जैसे ऋण वसूली न्यायाधिकारण, प्रतिभूति हित अधिनियम व लोक अदालत आदि के द्वारा लगभग 35000 करोड़ रु. एनपीए की वसूली की गई।
- वित्तीय वर्ष 2019 तक IBC के माध्यम से हल किए गए 94 मामलों में वसूली दर 43% है।
- जबकि अन्य वसूली तंत्र के माध्यम से यह दर 26.5% है।
- इन 94 मामलों के लिए पुनर्प्राप्ति दर भी परिसमापन मूल्य का दोगुना है, जो IBC प्रक्रिया के माध्यम से संभावित अधिकतम मूल्य को रेखांकित करता है।
- IBC एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार था जिसने शक्ति संतुलन को उधारकर्ता से लेनदार को स्थानांतरित कर दिया है।
- उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा 12 फरवरी, 2018 को आरबीआई द्वारा जारी सर्कुलर को रद्द करने के फैसले से बैंकों को तनावग्रस्त परिसंपत्तियों को हल करने में अधिक लचीलापन मिला।
- साथ ही उच्चतम न्यायालय ने IBC को उसी रूप में बनाए रखा जैसे सरकार ने इसका गठन किया था, जिसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
- IBC के माध्यम से मामलों को हल करने में औसत 324 दिन का समय लग रहा है, जो IBC संहिता में निर्धारित 270 दिनों से अधिक है।
- 31 मार्च, 2019 तक IBC के तहत 1143 मामले थे जिनमें से 32% मामलों में निराकरण प्रस्ताव 270 दिनों से अधिक समय से लंबित था।
- इसके अतिरिक्त कुछ बड़े कर्ज खाते भी हैं जिनके निराकरण में 400 दिनों से अधिक समय में भी अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
लेखक-राहुल त्रिपाठी
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