प्रश्न-हाल ही में फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर निम्नलिखित कथन दिए गए हैं-
(1) मानसिक रोगी को फांसी की सजा नहीं दी जा सकती।
(2) आपराधिक अभियोजन से बचने के लिए अभियुक्त आई.पी.सी. के तहत विधिसम्मत पागलपन की याचिका दे सकता है।
(3) अपराधी को स्पष्ट सबूतों के साथ यह साबित करना होगा कि वह गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित है।
सही कूट का चयन करें।
(a) (1) और (2)
(b) (2) और (3)
(c) केवल (3)
(d) (1), (2) और (3)
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य
(1) मानसिक रोगी को फांसी की सजा नहीं दी जा सकती।
(2) आपराधिक अभियोजन से बचने के लिए अभियुक्त आई.पी.सी. के तहत विधिसम्मत पागलपन की याचिका दे सकता है।
(3) अपराधी को स्पष्ट सबूतों के साथ यह साबित करना होगा कि वह गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित है।
सही कूट का चयन करें।
(a) (1) और (2)
(b) (2) और (3)
(c) केवल (3)
(d) (1), (2) और (3)
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य
- 18 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि मानसिक रोगियों को फांसी की सजा नहीं दी जा सकती है।
- यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एन.वी.रमन की अध्यक्षता वाली जस्टिस मोहन एम. शांतानागौदर और इंदिरा बनर्जी की तीन जजों वाली बेंच ने सुनाया।
- कोर्ट के अनुसार, मौत की सजा पाए व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति अपीलीय कोर्ट के लिए उसे फांसी की सजा घटाने का कारण हो सकती है।
- कोर्ट के अनुसार, अपीलीय अदालतों के लिए कैदियों की मानसिक स्थिति फांसी की सजा नहीं सुनाने के लिए एक अहम पहलू होगी।
- कोर्ट के अनुसार, आपराधिक अभियोजन से बचने के लिए आई.पी.सी. (आपराधिक दंड सहिता) के तहत अभियुक्त विधिसम्मत पागलपन की याचिका दे सकता है।
- निर्देशों के दुरुपयोग को रोकने के लिए पीठ ने कहा कि आरोपी को स्पष्ट सबूतों के साथ यह साबित करना होगा कि वह गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रस्त है।
- उपर्युक्त मामलों में अदालत दोषियों की मानसिक बीमारी के दावे पर विशेषज्ञ रिपोर्ट के लिए एक पैनल का गठन कर सकती है।
लेखक-गजेंद्र प्रताप
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